प्राकृतिक घरेलु उपचार ऐसे इलाज होते है
जो घर में आसानी से उपलब्ध वस्तुओं से तैयार होते है,
ये पदार्थ ऐसी चीजे है जो आम तौर पर रोजाना हमरे सामने आती है
घरेलू उपचार क्या है?
आम बीमारियों से निपटने के लिए इस प्रकार के उपचार हमारी रसोई में उपलब्ध वस्तुओं से तैयार करनाआसन है वस्तुओ के कुछ सामान्य उदाहरण है –
- एप्पल का सिरका, लहसुन,
- दही, एलोवेरा,
- बोरिक एसिड,
- फोलिक एसिड,
- टमाटर,
- कच्चे प्याज,
- बादाम,
- दालचीनी,
- नींबू,
- नटस ,
- हल्दी ,
- ग्रीन टी,
- बेकिंग सोडा,
- शहद इत्यादि l
1. टॉन्सिल के लिए घरेलू उपचार

टॉन्सिलिटिस क्या है?
टॉन्सिलिटिस आपके टॉन्सिल का एक संक्रमण है,
आपके गले के पीछे ऊतक के दो द्रव्यमान हैं।
आपके टॉन्सिल फिल्टर के रूप में कार्य करते हैं, कीटाणुओं को फंसाते हैं जो अन्यथा आपके वायुमार्ग में प्रवेश कर सकते हैं और संक्रमण का कारण बन सकते हैं। वे संक्रमण से लड़ने के लिए एंटीबॉडी भी बनाते हैं। लेकिन कभी-कभी, वे बैक्टीरिया या वायरस से अभिभूत हो जाते हैं। यह उन्हें सूजन और सूजन बना सकता है।
टॉन्सिलिटिस के लक्षण
गले में दर्द या कोमलता
बुखार
लाल टॉन्सिल
सरदर्द
कान का दर्द
निगलने में परेशानी
आपकी गर्दन या जबड़े में सूजन ग्रंथियां
ठंड लगना
गर्दन में अकड़न
घरेलू नुस्खे
यदि आपके पास वायरस है, तो एंटीबायोटिक्स मदद नहीं करेंगे, और आपका शरीर अपने दम पर संक्रमण से लड़ेगा। इस बीच, आप कुछ घरेलू उपचार आजमा सकते हैं:
चिकने खाद्य पदार्थ खाएं,
जैसे कि स्वादयुक्त जिलेटिन, आइसक्रीम और सेब
गले के दर्द में मदद करने के लिए गर्म या बहुत ठंडा तरल पिएं
अपने कमरे में एक कूल-मिस्ट वेपोराइज़र या ह्यूमिडिफायर का उपयोग करें
गर्म नमक के पानी से गरारे करें
अपने गले को सुन्न करने के लिए बेंज़ोकेन या अन्य दवाओं के साथ लोज़ेन्ग्स पर चूसो
ऐसे एसिटामिनोफेन या इबुप्रोफेन के रूप में ओवर-द-काउंटर दर्द निवारक लें
टॉन्सिलिटिस को रोकने का सबसे अच्छा तरीका अच्छी स्वच्छता के माध्यम से है, जिसमें शामिल हैं:
अक्सर हाथ धोना
किसी के साथ टूथब्रश जैसे भोजन, पेय, बर्तन, या व्यक्तिगत वस्तुओं को साझा नहीं करना
किसी ऐसे व्यक्ति से दूर रहना जिसके गले में खराश या टॉन्सिलाइटिस हो
2.सर्दी जुकाम के लिए घरेलू उपचार

बहुत सारे घरेलू उपचार हैं जो आपके लक्षणों को कम कर सकते हैं और आपको सामान्य स्थिति में वापस ला सकते हैं। यदि आप कुछ हफ्तों के बाद भी बीमार महसूस करते हैं, तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें। यदि आपको सांस लेने में तकलीफ है, तेज़ धड़कन है, बेहोशी महसूस करते हैं या अन्य गंभीर लक्षणों का अनुभव करते हैं, तो जल्द ही चिकित्सा सहायता प्राप्त करें।
चिकन सूप

चिकन सूप एक इलाज नहीं हो सकता है, लेकिन जब आप बीमार हों तो यह एक बढ़िया विकल्प है। शोध बताते हैं कि खरोंच से तैयार या कैन से गर्म करके सब्जियों के साथ चिकन सूप का आनंद लेने से आपके शरीर में न्यूट्रोफिल की गति धीमी हो सकती है। न्यूट्रोफिल सफेद रक्त कोशिका का एक सामान्य प्रकार है। वे आपके शरीर को संक्रमण से बचाने में मदद करते हैं। जब वे धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे हैं, तो वे आपके शरीर के उन क्षेत्रों में अधिक केंद्रित रहते हैं, जिन्हें सबसे अधिक उपचार की आवश्यकता होती है।
अदरक

अदरक की जड़ के स्वास्थ्य लाभों को सदियों से टाल दिया गया है, लेकिन अब हमारे पास इसके गुणकारी गुणों का वैज्ञानिक प्रमाण है। उबलते पानी में कच्चे अदरक की जड़ के कुछ स्लाइस खांसी या गले में खराश को शांत करने में मदद कर सकते हैं। शोध बताते हैं कि यह मतली की भावनाओं को भी दूर कर सकता है जो अक्सर इन्फ्लूएंजा के साथ होता है।
शहद

शहद में विभिन्न प्रकार के जीवाणुरोधी और रोगाणुरोधी गुण होते हैं। नींबू के साथ चाय में शहद पीने से गले में दर्द को कम किया जा सकता है। शोध बताते हैं कि शहद एक प्रभावी कफ सप्रेसेंट है। एक अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने पाया कि बच्चों को सोते समय 10 ग्राम शहद देने से उनके खांसी के लक्षणों की गंभीरता कम हो गई। बच्चों ने कथित तौर पर अधिक ध्वनि की नींद ली, जो ठंड के लक्षणों को कम करने में भी मदद करता है।
3. ब्रेस्ट में गांठ का घरेलू उपचार

फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट यानि ब्रेस्ट में गांठें बनना, लगभग 50% महिलाओं को यह समस्या कभी न कभी होती है।
आमतौर पर 20 से 24 साल की लड़कियों को यह समस्या अधिक होती है,
जिसका कारण काफी हद तक गलत लाइफस्टाइल है।
फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट, एक या दोनों स्तनों में हो सकता है।
ब्रेस्ट में गांठ बनने के कारण
ब्रेस्ट टीशू में फैट बढ़ जाने से भी गांठ पड़ जाती है
जबकि ये गांठ कैंसर नहीं बल्कि सामान्य भी हो सकती है।
पीरियड्स की गड़बड़ी, प्रेग्नेंसी, पीरियड्स का बंद होना, हार्मोंस में बदलाव, ब्रेस्ट फीडिंग के दौरान दूध का रूक जाने के कारण ब्रेस्ट में गांठ बन जाती है।
ब्रेस्ट में गांठ के लक्षण
ब्रेस्ट में सूजन व दर्द
स्तनों का आकार बढ़ना
ब्रेस्ट का सख्त होना
स्तनों का मोटा होना
निपल से खून निकलना
बाजुओं के निचे दर्द होना
घरेलू नुस्खे
फ्लैक्ससीड्स ऑयल
फ्लैक्ससीड्स यानि अलसी के बीजों का तेल ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर होता है, जो ब्रेस्ट को स्वस्थ रखने में मदद करता है। फब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट एस्ट्रोजेन हार्मोन से संबंधित है और फ्लैक्ससीड्स इसके संतुलन को बनाए रखने में मददगार होते हैं।
हर्ब्स
डेंडेलियन लीफ (dandelion leaf), यारो (yarrow) और उवा इरसी (uva ursi) जैस आयुर्वेदिक हर्ब्स भी ब्रेस्ट में पड़ी गांठों से छुटकारा दिलाएंगे। इसके लिए आप किसी भी हर्ब को पीसकर ब्रेस्ट पर लगाएं।
अदरक तेल
अदरक का तेल का यूज करने से फायब्रोसीस्टिक ब्रेस्ट के दर्द से राहत मिलती है। कुछ समय के लिए अदरक तेल से प्रभावित क्षेत्र की मालिश करें और फिर गर्म कॉम्प्रेस लगाए। नियमित रूप से दिन में 2 बार इसका इस्तेमाल करने से आप खुद फर्क महसूस करेंगी।
4.कोलेस्ट्रॉल के घरेलू उपचार
कोलेस्ट्रॉल एक तरह का वसायुक्त तत्व है, जिसका उत्पादन लिवर करता है। यह कोशिकाओं की दीवारों, नर्वस सिस्टम के सुरक्षा कवच और हॉर्मोस के निर्माण में अहम भूमिका निभाता है। यह प्रोटीन के साथ मिलकर लिपोप्रोटीन बनाता है, जो फैट को खून में घुलने से रोकता है।
घरेलू नुस्खे
ड्राई फ्रूट्स

बादाम, अखरोट और पिस्ते में पाया जाने वाला फाइबर, ओमेगा-3 फैटी एसिड और विटमिंस बुरे कोलेस्ट्रॉल को घटाने और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढाने में सहायक होते हैं। इनमें मौजूद फाइबर देर तक पेट भरे होने का एहसास दिलाता है। इससे व्यक्ति नुकसानदेह फैटयुक्त स्नैक्स के सेवन से बचा रहता है।
कितना खाएं : प्रतिदिन 5 से 10 दाने।
ध्यान रखें: घी-तेल में भुने और नमकीन मेवों का सेवन न करें। इससे हाई ब्लडप्रेशर की समस्या हो सकती है। बादाम-अखरोट को पानी में भिगोकर और पिस्ते को वैसे ही छील कर खाना ज्यादा फायदेमंद साबित होता है। पानी में भिगोने से बादाम-अखरोट में मौजूद फैट कम हो जाता है और इनमें विटमिन ई की मात्रा बढ जाती है। अगर अखरोट से एलर्जी हो तो इसके सेवन से बचें। शारीरिक श्रम न करने वाले लोग अधिक मात्रा में बादाम न खाएं। इससे मोटापा बढ सकता है।
लहसुन

लहसुन में कई ऐसे एंजाइम्स पाए जाते हैं, जो एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मददगार साबित होते हैं। वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध के अनुसार लहसुन के नियमित सेवन से एलडीएल कोलेस्ट्रॉल का स्तर 9 से 15 प्रतिशत तक घट सकता है। इसके अलावा यह हाई ब्लडप्रेशर को भी नियंत्रित करता है।
कितना खाएं : प्रतिदिन लहसुन की दो कलियां छीलकर खाना सेहत के लिए फायदेमंद होता है।
ध्यान रखें : अगर लहसुन के गुणकारी तत्वों का फायदा लेना हो तो बाजार में बिकने वाले गार्लिक सप्लीमेंट्स के बजाय सुबह खाली पेट कच्चा लहसुन खाना ज्यादा अच्छा रहता है। कुछ लोगों को इससे एलर्जी होती है। अगर ऐसी समस्या हो तो लहसुन न खाएं।
5.फंगल का घरेलू उपचार

फंगल संक्रमण (Fungal infection) एक आम प्रकार का त्वचा संबंधी संक्रमण होता है। मनुष्यों में, फंगल संक्रमण तब होता है जब कवक (Fungus) या फंगस शरीर के किसी क्षेत्र में आक्रमण करते है और प्रतिरक्षा प्रणाली इनसे लड़ने में सक्षम नहीं होती है।
फंगल इंफेक्शन होने के लक्षण
रैशेज,त्वचा में लाल रंग के पैचेस होना,प्रभावित क्षेत्रों पर सफेद चूर्ण की तरह पदार्थ निकलना,त्वचा में पपड़ी जमना या खाल उतरना,त्वचा में दरारे होना,त्वचा का लाल होना।
घरेलू नुस्खे
हल्दी फंगल इंफेक्शन से राहत दिलाने में फायदेमंद

हल्दी में एंटीफंगल गुण होते हैं, इसलिए इसके प्रयोग से भी फंगल इंफेक्शन ठीक हो जाते हैं। इसके लिए आप इंफेक्शन वाली जगह पर कच्ची हल्दी को पीसकर लगा सकते हैं। अगर कच्ची हल्दी उपलब्ध नहीं है तो आप हल्दी पाउडर को थोड़े से पानी के साथ मिलाकर इसका गाढ़ा पेस्ट बनाकर इसे भी प्रभावित जगह पर लगा सकते हैं। हल्दी के प्रयोग से इंफेक्शन की वजह से होने वाले दाग-धब्बे भी मिट जाते हैं।
नीम फंगल इंफेक्शन से राहत दिलाने में फायदेमंद
नीम त्वचा के किसी भी तरह के संक्रमण को रोकने में लाभकारी होता है। नीम के पानी या नीम की पत्तियों को पानी में उबालकर इस पानी का प्रयोग दिन में कई बार त्वचा पर करने से फंगल इंफेक्शन से राहत मिलती है।
6.वायरल बुखार के घरेलू उपचार

किसी भी वायरस की वजह से होने वाला बुखार वायरल होता है।
यह विशेषकर मौसम बदलने के दौरान होने वाली बीमारी है,
जब भी मौसम बदलता है
तब तापमान के उतार-चढ़ाव के कारण हमारे शरीर की प्रतिरक्षी तंत्री कमजोर पड़ जाती है
और शरीर जल्दी वायरस के संक्रमण में आ जाता है।
वायरल फीवर क्या है?
वायरल फीवर संक्रमण से होने वाली बीमारी है।
आयुर्वेद के अनुसार वायरल फीवर होने पर शरीर के तीनों दोष प्रकूपित होकर विभिन्न लक्षण दिखाते है। विशेषकर इसमें कफ दोष कूपित होकर जठराग्नि को मंद या भूख मर जाती है।
वायरल बुखार होने के कारण
आम तौर पर वायरल फीवर मौसम के बदलने पर प्रतिरक्षा तंत्र के कमजोर होने पर होता है। लेकिन इसके सिवा और भी कारण होते है जिनके कारण बुखार आता है।
- दूषित जल एवं भोजन का सेवन
- प्रदूषण के कारण दूषित वायु में मौजूद सूक्ष्म कणों का शरीर के भीतर जाना
- रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी
- वायरल बुखार हुए रोगी के साथ रहना
वायरल फीवर होने के लक्षण
- थकान
- पूरे शरीर में दर्द होना
- शरीर का तापमान बढ़ना
- खाँसी
- जोड़ो में दर्द
- दस्त
- त्वचा के ऊपर रैशेज होना
- सर्दी लगना
- गले में दर्द
- सिर दर्द
- आँखों में लाली तथा जलन रहना।
- उल्टी और दस्त का होना।
वायरल बुखार से छुटकारा पाने के घरेलू नुस्ख़े
वायरल बुखार एक वायरस से संक्रमित समस्या है अत इसमें एंटीबायोटिक नहीं देनी चाहिए। यह बुखार कस से कम 3-4 दिन तथा ज्यादा से ज्यादा दो सप्ताह तक रह सकता है। वायरल बुखार के लिए आयुर्वेदीय चिकित्सा श्रेष्ठ है, यह कूपित दोषों को समावस्था में लेकर आती है।
अदरक
वायरल बुखार में होने वाले दर्द में अदरक बेहद लाभदायक होता है। अदरक के पेस्ट में थोड़ा शहद मिलाकर थोड़ी-थोड़ी देर में लेने से आराम मिलता है।
मेथी का पानी
मेथी के दानों को एक ग्लास पानी में डालकर रात भर के लिए छोड़ दें और सुबह इस पानी को छानकर रख लें। इस पानी का सेवन हर दो घंटे में थोड़ी-थोड़ी मात्रा में करें।
दालचीनी
वायरल फीवर में दालचीनी एक प्राकृतिक एंटीबायोटिक का काम करता है, इससे खाँसी-संक्रामक जुकाम एवं गले में दर्द जैसे लक्ष्णों में आराम मिलता है। एक कप पानी में एक छोटा चम्मच दालचीनी पाउडर और दो इलायची डाल लें और इसको पाँच मिनट तक उबाल लें। इसे छानकर गरम ही पिएँ।
तुलसी
5-7 तुलसी के पत्ते और एक चम्मच लौंग पाउडर को एक लीटर पानी में उबाल कर रख लें। हर दो घंटे के अंतराल में आधा कप की मात्रा में इसको पिएँ।
7.ज्वाइंडिस का घरेलू उपचार

शरीर में बिलीरुबिन का स्तर बढ़ जाने के कारण त्वचा, नाखून और आंखों का सफेद भाग पीला नजर आने लगता है। इस समस्या को ही पीलिया (Jaundice) कहते हैं। खून में बिलीरुबिन के बढ़ जाने से पीलिया से पीड़ित मरीज का समय पर इलाज ना हो तो रोगी को बहुत नुकसान झेलना पड़ता है। यह एक सामान्य-सा दिखने वाला गंभीर रोग हैं। इस रोग में लिवर कमजोर होकर काम करना बंद कर देता है।
पीलिया होने के कारण
- हेपेटाइटिस
- पैंक्रियाटिक का कैंसर
- बाइल डक्ट का बंद होना
- एल्कोहल से संबधी लिवर की बीमारी
- सड़क के किनारे, कटी, खुतली, दूषित वस्तुएं और गंदा पानी पीने से।
- कुछ दवाओं के चलते भी यह समस्या हो सकती है।
पीलिया के लक्षण
- त्वचा, नाखून और आंख का सफेद हिस्सा तेजी से पीला होने लगता है।
- फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देना- इसमें मितली आना, पेट दर्द, भूख ना लगना और खाना ना हजम होना जैसे लक्षण भी दिखाई देते हैं।
- वजन घटना
- गाढ़ा/पीला पेशाब होना
- लगातार थकान महसूस करना
- भूख नहीं लगना
- पेट में दर्द होना
- बुखार बना रहना
- हाथों में खुजली चलना
पीलिया का घरेलू नुस्ख़े
गन्ने के रस

गन्ने का रस पीलिया के इलाज में अत्यंत लाभकारी होता हैं। अगर दिन में तीन से चार बार सिर्फ गन्ने का रस पिया जाए तो इससे बहुत ही लाभ होता हैं।
अगर रोगी सत्तू खाकर गन्ने का रस सेवन किया जाय तो सप्ताह भर में ही पीलिया ठीक हो जाता है।
अगर गेहूं के दाने के बराबर सफेद चूना गन्ने के रस में मिलाकर सेवन किया जाय तो भी जल्द से जल्द पीलिया दूर हो जाता है।
हल्दी
हल्दी पीलिया रोग के उपचार के लिए बहुत अच्छी होती हैं। पीलिया होने पर आप एक चम्मच हल्दी को आधे गिलास पानी में मिला लें। इसे रोजाना दिन में तीन बार पिएं। इससे शरीर में मौजूद सभी विषाक्त पदार्थ मर जाएंगे। यह नुस्खा बिलीरुबिन को शरीर से बाहर करने में भी बहुत मदद करता है। पीलिया के इलाज के लिए बहुत ही आसान नुस्खा हैं। जिससे शरीर के खून की सफाई भी हो जाती हैं।
8. दाँत दर्द का घरेलू उपचार

दांत में दर्द होना वैसे तो एक आम समस्या है, लेकिन ये बेहद असहनीय होता है। दांत दर्द की वजह से कई बार चेहरे पर सूजन भी आ जाती है। यहां तक कि सिर में दर्द भी हो सकता है। दांत का दर्द किसी भी उम्र में हो सकता है। विशेषज्ञों की मानें तो दांत दर्द होने पर तुरंत पेन किलर या एंटीबायोटिक दवा खाने की बजाय घरेलू उपचार अपनाने चाहिए।
हींग
चुटकी भर हींग को मौसमी के रस में मिलाकर रूई में लगा लें। इसे दर्द वाले दांत के पास रखें। यह दांत दर्द से तुरंत आराम दिलाने का सबसे अच्छा घरेलू उपचार है।
हल्दी
हल्दी एक प्राकृतिक एंटीबायोटिक है। हल्दी, नमक और सरसों के तेल के पेस्ट को दर्द वाले दांत पर लगाना चाहिए। यह दांत दर्द की दवा की तरह जल्दी असर करता है और दर्द से तुरंत आराम दिलाता है।
लौंग
एक लौंग को दांत के नीचे दबाकर रखने से दांत दर्द में तुरंत आराम मिलता है। लौंग का तेल भी दर्द को भगाने में प्रभावी होता है।
9.लिगामेंट का घरेलू उपचार

घुटने शरीर का बेहद खास अंग हैं, ये शरीर के पूरे भार को बैलेंस करने का काम करते हैं। लेकिन घुटने लिगामेंट्स पर टिके होते हैं। लिगामेंट्स घुटने की स्थिरता और मूवमेंट को आसान बनाने का काम करते हैं। लिगामेंट्स की मदद से ही आप आसानी उठते, बैठते, चलते, दौड़ते और पैरों से संबंधित दूसरे सभी कामों को करते हैं। लेकिन अक्सर खेलते, दौड़ते, चलते या ऊंचाई से कूदते समय लिगामेंट में चोट आ जाती है। लिगामेंट में चोट आते ही आपका चलना फिरना और यहां तक की खड़ा होना भी कई बार मुश्किल हो जाता है। लिगामेंट इंजरी सबसे अधिक खिलाड़ियों को होती है। इसी चोट को मेडिकल की भाषा में लिगामेंट इंजरी कहा जाता है।
बर्फ का इस्तेमाल
लिगामेंट इंजरी होने पर कुछ ही समय के भीतर प्रभावित क्षेत्र में सूजन आ जाती है। सूजन और दर्द को कम करने के लिए आपको बर्फ का इस्तेमाल करना चाहिए। जिस जगह पर लिगामेंट इंजरी हुई है वहां 2-3 दिनों तक रोजाना 15-20 मिनट तक बर्फ लगाने से सूजन काफी हद तक कम हो जाती है और आपको आराम मिलता है। अगर आपको लिगामेंट इंजरी के कारण सूजन और तेज दर्द है तो आपको बर्फ से उस प्रभावित क्षेत्र की सिकाई करनी चाहिए। इससे आपको काफी राहत मिलेगी।
घुटनों पर पट्टी बांधना
लिगामेंट इंजरी होने पर पैरों को आराम करना चाहिए। चोट होने के बाद ज्यादा चलने, घूमने फिरने या घुटने पर प्रेशर डालने से घुटने का सूजन और दर्द बढ़ जाता है। घुटने के प्रेशर और मूवमेंट को कंट्रोल करने तथा लिगामेंट को डैमेज होने से बचाने के लिए आपको अपने घुटनों पर इलास्टिक बैंडेज या पट्टी बांधनी चाहिए। बैंडेज या पट्टी के अलावा आप नि-ब्रेस का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। यह घुटने के मूवमेंट को कंट्रोल करने और अधिक डैमेज होने से रोकता है। नि-ब्रेस का इस्तेमाल करने से पहले आपको एक बार डॉक्टर से अवश्य परामर्श करना चाहिए।
अरंडी के तेल का इस्तेमाल
लिगामेंट इंजरी में अरंडी के तेल का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है। इसे लिगामेंट इंजरी के कारण उत्पन्न सूजन और दर्द को करने वाले सबसे प्रभावशाली घरेलू उपायों में से एक माना जाता है। अरंडी के तेल को थोड़ी मात्रा में लेकर अपने घुटनों पर धीरे-धीरे मसाज करें। ठीक तरह से मसाज करने के बाद अपने घुटनों को सूती कपड़े से ढक कर उसके ऊपर हीटिंग बॉटल या कंबल को लगभग आधे घंटे के लिए रख दें। नियमित रूप से ऐसा 2-3 दिनों तक करने से लिगामेंट इंजरी में आपको बहुत आराम मिलेगा। ध्यान रहे कि मालिश को धीरे-धीरे करना है। घुटने पर अधिक प्रेशर डालने या घुटने को मोड़ने से बचना चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से आपका सूजन और दर्द और बढ़ सकता है।
10.वर्टिगो के घरेलू उपचार

वर्टिगो भीतरी कान की या मस्तिष्क की समस्याओं के कारण होता है। जब कान का भीतरी हिस्सा किसी चोट, इनफ़ैक्शन (infection) या अन्य कारण से प्रभावित होता है तब व्यक्ति वर्टिगो (चक्कर आने) की समस्या को अनुभव करता है।
वर्टिगो (vertigo) के कारण
- सुपीरियर सैमीसर्कुलर कैनाल डीहिस्सैन्स (Superior Semicircular Canal Dehiscence (SSCD))
- संतुलन तंत्रिका (balance nerve) या मस्तिष्क के ट्यूमर (tumors)
- सर के घाव के कारण होने वाली कान की चोट
- स्ट्रोक (strokes)
- मल्टिपल स्क्लैरॉसिस (Multiple sclerosis)
- कुछ दवाइयों के दुष्प्रभाव
- फ़ोबिक पौश्च्युरल वर्टिगो (Phobic postural vertigo)
- सिस्टैमिक विकार (systemic disorders)
नारियल पानी
रोज सुबह-शाम नारियल पानी पीने से चक्कर (वर्टिगो) नहीं आते।
खरबूजे के बीज
खरबूजे के बीजों को गाय के घी में भूनकर सुबह शाम खाने से चक्कर आने की समस्या में आराम मिलता है।
धनिया और आंवले का रस
आधा कप धनिया के रस में 2 चम्मच आंवले का रस मिलाकर पीने से चक्कर आने की समस्या ठीक हो जाती है।
नींबू का रस
एक गिलास गुनगुने पानी में आधा नींबू निचोड़कर पीने से चक्कर नहीं आते।
अदरक
चक्कर आने पर अदरक की चाय या अदरक चूसने से फायदा होता है। उल्टी में भी राहत मिलती है।
इलायची
छोटी इलायची के दानों को चबाने से चक्कर आने और उल्टी जैसी प्रॉब्लम दूर हो जाती है।
ठंडा पानी
चक्कर आने और सिर घूमने पर 2-3 गिलास ठंडा पानी पीने से काफी फायदा होता है।